पाठ्य पुस्तकें >> राष्ट्रभाषा भारती कक्षा 5 राष्ट्रभाषा भारती कक्षा 5गंगादत्त शर्मा
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कक्षा-5 के विद्यार्थियों के लिए हिन्दी भाषी पुस्तक...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सामान्यत: शिक्षा और शिक्षण के क्षेत्र में आ रहे नवीनतम् परिवर्तनों के
अनुरूप शिक्षण सामग्री का निर्माण आज शिक्षा जगत् की महत्त्वपूर्ण
आवश्यकता बन गया है। ‘राष्ट्रभाषा-भारती’ नाम से
प्रकाशित यह पुस्तकमाला एक ओर जहाँ नवीनतम शिक्षण विधियों और सामाजिक
अपेक्षाओं के अनुरूप एक उपयोगी तथा प्रभावी उपकरण के रूप में उभरकर आई है, वहीं इसके निर्माण शिक्षार्थियों की रुचि, क्षमता और मानसिक
स्तर का भी
पूर्ण ध्यान रखा गया है। प्रस्तुत पुस्तक माला में पूर्व प्राथमिक से लेकर
आठवीं तक सभी कक्षाओं के लिए पाठ्य पुस्तकें तथा विनिर्दिष्ट पाठ्य पुस्तक
के अधिगम, पुनरीक्षण, आवृत्ति, पुनर्बलन के लिए अभ्यास पुस्तिका तैयार की
गई हैं। जहाँ तक चर्चित विषयों का प्रश्न है, इनमें विविध उपयोगी विषयों
से परिचय कराया गया है- शिक्षार्थी के अपने परिवेश, परिवार, मित्र,
विद्यालय, समाज से लेकर यात्रा, शौक, आदर्श, चुनौतियाँ, मनोरंजन और मानव
मूल्य आदि तक। इन विषयों को कविता, गीत, लेख, विवरण, कहानी, बोध कथा, लोक
कथा आदि विधाओं के द्वारा समझाया गया है। रोचकता सभी विधाओं की मूल
अभिप्रेरक रही है।
पाँचवें भाग में कुल 25 पाठ हैं। अभिव्यक्ति की प्राय: सभी विधाओं के माध्यम से विविध विषय प्रस्तुत किए गए हैं जो विद्यार्थियों की शारीरिक और बौद्धिक क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए सरलता से कठिनता की ओर उन्मुख हैं। कविताएँ मात्र कल्पना लोक में विचरण नहीं करती, देश-प्रेम, भारतीय संस्कृति, पर्यावरण, स्वाभिमान और मेले-उत्सवों की महत्ता से भी परिचित कराती हैं।
भारत की सांस्कृतिक विरासत और विशेषताओं से बालक को परिचित कराने का प्रयास किया गया है। पशु-प्रेम, पर्यावरण संरक्षण और जनसंख्या शिक्षण जैसे उपयोगी और ज्वलंत सामाजिक विषय भी बड़े ही रोचक शैली में प्रस्तुत किए गए हैं। परोपकार, मेल-जोल, स्वाभिमान, देशाभिमान, प्रेम जैसे मानवीय गुण पाठों में फूल में सुगंध की भाँति अदृश्य होकर भी स्पष्ट हैं। एक ओर प्राचीन भारतीय गौरव गाथा के प्रेरक बनी है तो दूसरी ओर स्वतंत्रता संग्राम की कहानी। संपूर्ण पुस्तकमाला की रणनीति यह रही है कि शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में पूरी कक्षा की भागीदारी हो, मात्र शिक्षक की नहीं। इसलिए पाठांत अभ्यासों में और अभ्यास पुस्तिकाओं में ऐसे प्रश्न रखे गए हैं जो समूह की भागीदारी को सुनिश्चित करें। भाषा के चारों कौशलों-सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना का समन्वित विकास। सभी भाषिक कौशलों के अभ्यास के लिए शिक्षक की सक्रिय भूमिका अपेक्षित है और सतत् प्रक्रिया भी है। पाठ्य पुस्तक शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों के हाथों में एक साझे उपकरण के समान होती है जिसका उपयोग भी साझे रूप में ही हो सकता है।
सभी पुस्तकों का प्रणयन शिक्षा जगत के प्रख्यात विशेषज्ञों तथा अनुभवी और कर्मठ शिक्षकों के समन्वित प्रयास से संभव हो सका है। पुस्तक माला के लेखक और मानद परामर्शदाता भाषा शिक्षण के क्षेत्र में अधुनातन प्रवृत्तियों के जानकार हैं और शिक्षण तथा सामग्री-निर्माण में उनका सुदीर्घ अनुभव रहा है।
शिक्षा और शिक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही अनेक संस्थाओं और संगठनों के शिक्षाविदों तथा ऐसी अनेक संस्थाओं के जुड़े प्रबुद्ध शिक्षकों ने भी प्रस्तुत सामग्री पर अपनी समालोचनात्मक सम्मति प्रदान की है। हम उन सबके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। हम उन लेखकों और रचनाकारों के भी आभारी हैं जिनकी समर्थ रचनाएँ पाठों में आधार सामग्री के रूप में ली गई हैं और नई पीढ़ी को ज्ञान का प्रकाश देने का माध्यम बनी हैं।
पाँचवें भाग में कुल 25 पाठ हैं। अभिव्यक्ति की प्राय: सभी विधाओं के माध्यम से विविध विषय प्रस्तुत किए गए हैं जो विद्यार्थियों की शारीरिक और बौद्धिक क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए सरलता से कठिनता की ओर उन्मुख हैं। कविताएँ मात्र कल्पना लोक में विचरण नहीं करती, देश-प्रेम, भारतीय संस्कृति, पर्यावरण, स्वाभिमान और मेले-उत्सवों की महत्ता से भी परिचित कराती हैं।
भारत की सांस्कृतिक विरासत और विशेषताओं से बालक को परिचित कराने का प्रयास किया गया है। पशु-प्रेम, पर्यावरण संरक्षण और जनसंख्या शिक्षण जैसे उपयोगी और ज्वलंत सामाजिक विषय भी बड़े ही रोचक शैली में प्रस्तुत किए गए हैं। परोपकार, मेल-जोल, स्वाभिमान, देशाभिमान, प्रेम जैसे मानवीय गुण पाठों में फूल में सुगंध की भाँति अदृश्य होकर भी स्पष्ट हैं। एक ओर प्राचीन भारतीय गौरव गाथा के प्रेरक बनी है तो दूसरी ओर स्वतंत्रता संग्राम की कहानी। संपूर्ण पुस्तकमाला की रणनीति यह रही है कि शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में पूरी कक्षा की भागीदारी हो, मात्र शिक्षक की नहीं। इसलिए पाठांत अभ्यासों में और अभ्यास पुस्तिकाओं में ऐसे प्रश्न रखे गए हैं जो समूह की भागीदारी को सुनिश्चित करें। भाषा के चारों कौशलों-सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना का समन्वित विकास। सभी भाषिक कौशलों के अभ्यास के लिए शिक्षक की सक्रिय भूमिका अपेक्षित है और सतत् प्रक्रिया भी है। पाठ्य पुस्तक शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों के हाथों में एक साझे उपकरण के समान होती है जिसका उपयोग भी साझे रूप में ही हो सकता है।
सभी पुस्तकों का प्रणयन शिक्षा जगत के प्रख्यात विशेषज्ञों तथा अनुभवी और कर्मठ शिक्षकों के समन्वित प्रयास से संभव हो सका है। पुस्तक माला के लेखक और मानद परामर्शदाता भाषा शिक्षण के क्षेत्र में अधुनातन प्रवृत्तियों के जानकार हैं और शिक्षण तथा सामग्री-निर्माण में उनका सुदीर्घ अनुभव रहा है।
शिक्षा और शिक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही अनेक संस्थाओं और संगठनों के शिक्षाविदों तथा ऐसी अनेक संस्थाओं के जुड़े प्रबुद्ध शिक्षकों ने भी प्रस्तुत सामग्री पर अपनी समालोचनात्मक सम्मति प्रदान की है। हम उन सबके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। हम उन लेखकों और रचनाकारों के भी आभारी हैं जिनकी समर्थ रचनाएँ पाठों में आधार सामग्री के रूप में ली गई हैं और नई पीढ़ी को ज्ञान का प्रकाश देने का माध्यम बनी हैं।
लेखक और संपादक
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